Gulzar Shayari On Life, Shayari Gulzar

0
193
Gulzar Shayari On Life, Shayari Gulzar
Gulzar Shayari On Life, Shayari Gulzar

Gulzar Shayari On Life, Shayari Gulzar. kabhī to chauñk ke dekhe koī hamārī taraf, kisī kī aañkh meñ ham ko bhī intizār dikhe

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

***

aa.ina dekh kar tasallī huī

ham ko is ghar meñ jāntā hai koī

***

एक याद से हैं आप ।

ये कला आपकी है ।

ख्यालों की ड्योढ़ी पर आ कर

चौखट पर हर्फ़ खिसका

अपनी जगह बना लेते हैं ।

कुछ लिहाज़ 

जो आप से जुड़े हैं ।

कुछ लिहाफ़

जो मैंने बुने हैं ।

मेरी कलम आपकी ही तलबगार है

ज़िंदगी ‘गुलज़ार’ है ।।

gulzar shayari on life, gulzar shayari in hindi, shayari by gulzar

gulzar shayari on life, gulzar shayari in hindi, shayari by gulzar
gulzar shayari on life, gulzar shayari in hindi, shayari by gulzar
  • सिर्फ एक सफ़ाहपलटकर उसने,बीती बातों की दुहाई दी है।फिर वहीं लौट के जाना होगा,यार ने कैसीरिहाई दी है।-गुलज़ार
  • Tujhe Pechanoonga Kaise? Tujhe Dekhaa Hi Nahin!
    Dhoondhaa Karta Hoon Tumhen, Apne Chehare Men Kahin
  • हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
    वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते
  • shaam se aañkh meñ namī hai

    aaj phir aap kamī hai

  • आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
    मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ
  • यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
    कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
  • काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
    तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी
  • खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
    हवा चले न चले दिन पलटते रहते है
  • मेरी सुबह की टहल में,एक अलग सा सुकून है ।बादलों की आस्तीन सेजब धूप झाँकती हैखेलती है सतोलियाकुछ टूटे बिखरे टुकड़ो संग ।

    मैं चल के पहुँचता हूँ

    दरख्तों के आसेब में

    जहाँ मेरी परछाई 

    मुझ से ज़्यादा खुशनुमा है ।।

gulzar shayari hindi, gulzar shayari image, gulzar shayari on love

gulzar shayari hindi, gulzar shayari image, gulzar shayari on love
gulzar shayari hindi, gulzar shayari image, gulzar shayari on love
  •  Din kuch aiseguzaarta hai koi,  Jaise ehsaas  utaarta hai koiAaina dekh kar tasalli hui,   Humko iss ghar mein    jaanta hai koi…
  • Ud ke jate huye panchi ne    bas itna hi dekha, Der tak haath hilati rahi  woh shaakh fiza mein    Alvida kehne ko?  Ya paas bulane ke liye?
  • Log Kahte Hain Meri Aankhen, Meri Maa, Si Hain.
    Yoon To Labrez Hain PaanI Se,
    Magar Pyasi Hain Kaan Men Chhed Hai
    Paidayashi aaya hoga Toone mannat ke liye
    Kaan Chhidaya Hoga
  • “पलक से पानी गिरा है,
    तो उसको गिरने दो
    कोई पुरानी तमन्ना,
    पिंघल रही होगी!!”
    #गुलज़ार
  • जब भी ये दिल उदास होता है
    जाने कौन आस-पास होता है
  • तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं
    ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं
  • कान में छेद है पैदायशी आया होगा
    तूने मन्नत के लिये कान छिदाया होगा
  • koī ḳhāmosh zaḳhm lagtī hai

    zindagī ek nazm lagtī hai

gulzar 2 line shayari, gulzar sahab shayari, gulzar ki shayari

gulzar 2 line shayari, gulzar sahab shayari, gulzar ki shayari
gulzar 2 line shayari, gulzar sahab shayari, gulzar ki shayari
  • बहुत मुश्किल से करता हूँ,
    तेरी यादों का कारोबार,
    मुनाफा कम है,
    पर गुज़ारा हो ही जाता है…
    #गुलज़ार
  • कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
    किसी की आंख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
  • ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
    एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
  • vaqt rahtā nahīñ kahīñ Tik kar

    aadat is bhī aadmī hai

  • दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
    जैसे एहसान उतारता है कोई
  • आदतन तुम ने कर दिए वादे
    आदतन हम ने ऐतबार किया
    तेरी राहो में बारहा रुक कर
    हम ने अपना ही इंतज़ार किया
    अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
    ये गुनाह हम ने एक बार किया
  • ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैंना पास रहने से जुड़ जाते हैंयह तो एहसास के पक्के धागे हैंजो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं
  • शाम से आँख में नमी सी है
    आज फिर आप की कमी सी है
  • वो उम्र कम कर रहा था मेरी
    मैं साल अपने बढ़ा रहा था

gulzar shayari in hindi font, gulzar shayari on life in hindi

gulzar shayari in hindi font, gulzar shayari on life in hindi
gulzar shayari in hindi font, gulzar shayari on life in hindi
  • सामने दाँतों का वक़्फा है  तेरे भी होगा
    एक चक्कर तेरे पाँव  के तले भी होगा
  • जाने किस जल्दी में थी जन्म दिया, दौड़ गयी
    क्या खुदा देख लिया था कि मुझे छोड़ गयी
  • बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,
    और टपकते अश्क की हर बूंद
    वफ़ा का इज़हार करती है……..
    डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,
    लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनिया
    मौत का दीदार करती है……….
    ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की… और कहेना,
    के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश
    उनके आँचल का इंतज़ार करती है……….
  • हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
    रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
  • “तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
    दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे…
    ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
    उसको पढते रहे और जलाते रहे….”
  • जिस की आंखों में कटी थीं सदियां
    उस ने सदियों की जुदाई दी है
  • फिर वहीं लौट के जाना होगा
    यार ने कैसी रिहाई दी है
  • कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
    आज की दास्ताँ हमारी है
  • काई सी जम गई है आँखों पर
    सारा मंज़र हरा सा रहता है

gulzar love shayari, shayari of gulzar, gulzar shayari images

gulzar love shayari, shayari of gulzar, gulzar shayari images
gulzar love shayari, shayari of gulzar, gulzar shayari images
  • मैंने दबी आवाज़ में पूछा – “मुहब्बत करने लगी हो?”
    नज़रें झुका कर वो बोली – “बहुत”
  • Bahut Mushkil Se Karata Hun Teri Yaadon Ka Karobar,
    Munafa Kam Hain, Par Guzara Ho Jata Hain..
    बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
    मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है
  • सहमा सहमा डरा सा रहता है
    जाने क्यूं जी भरा सा रहता है
  • तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
    वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
  • बहोत अंदर तक जला देती है,
    वो शिकायतें जो बयाँ नही होती..
  • Suno.. Jara Rasta To Batana. Mohabbat Ke Safar Se Wapasi Hain Meri..
सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना.
मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..
  • Aaj Har Khamoshi Ko Mita Dene Ka Man Hain..
    Jo Bhi Chhupa Rakha Hain Man Me, Luta Dene Ka Man Hain.आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है
    जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है..

    • उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
      चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले

two line gulzar shayari, gulzar shayari on zindagi, gulzar sahab ki shayari

  • सुनो…
    जब कभी देख लुं तुम को….
    तो मुझे महसूस होता है कि…
    दुनिया खूबसूरत है|
  • Sham Se Aankhn Me Nami Si Hai.
    Aaj Fir Aap Ki Kami Si Hai.
    Waqt Rahata Nahin Kahi Tham Kar
    Is Ki Aadat Bhi Adami Si Hain….
    शाम से आँख में नमी सी है
    आज फिर आप की कमी सी है
    वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर
    इस की आदत भी आदमी सी है
  • सिर्फ एक सफ़ाहपलटकर उसने,बीती बातों की दुहाई दी है।फिर वहीं लौट के जाना होगा,यार ने कैसीरिहाई दी है।

    -गुलज़ार

gulzar romantic shayari, hindi shayari by gulzar, shayari by gulzar on life

  • ādatan tum ne kar diye va.ade

    ādatan ham ne e’tibār kiyā

  • haath chhūTeñ bhī to rishte nahīñ chhoḌā karte

    vaqt shāḳh se lamhe nahīñ toḌā karte

  • मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को
    मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

  • वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था  ख़त का रुख़ दिखा रहा था
    कुछ और भी हो गया नुमायाँ मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था
  • उसी का ईमाँ बदल गया है कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
    वो एक दिन एक अजनबी को मेरी कहानी सुना रहा था
    वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था
    बताऊँ कैसे वो बहता दरिया जब आ रहा था तो जा रहा था
    धुआँ धुआँ हो गई थी आँखें चराग़ को जब बुझा रहा था
  • ham ne aksar tumhārī rāhoñ meñ

    ruk kar apnā intizār kiyā

  •  Din kuch aiseguzaarta hai koi,  Jaise ehsaas  utaarta hai koiAaina dekh kar tasalli hui,   Humko iss ghar mein

        jaanta hai koi…

gulzar hindi shayari, gulzar sad shayari, shayari by gulzar on love

  • हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
    वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
  • maiñ chup karātā huuñ har shab umaDtī bārish ko

    magar ye roz ga.ī baat chheḌ detī hai

  • jis āñkhoñ meñ kaTī thiiñ sadiyāñ

    us ne sadiyoñ judā.ī hai

  • मुंडेर से झुक के चाँद कल भी पड़ोसियों को जगा रहा था
    ख़ुदा की शायद रज़ा हो इसमें तुम्हारा जो फ़ैसला रहा था
    (रज़ा = मर्ज़ी, इच्छा) (नुमायाँ = प्रकट)
  • Ud ke jate huye panchi ne    bas itna hi dekha, Der tak haath hilati rahi  woh shaakh fiza mein    Alvida kehne ko?  Ya paas bulane ke liye?
  • सितारे लटके हुए हैं तागों से आस्माँ पर
    चमकती चिंगारियाँ-सी चकरा रहीं आँखों की पुतलियों में
    नज़र पे चिपके हुए हैं कुछ चिकने-चिकने से रोशनी के धब्बे
    जो पलकें मूँदूँ तो चुभने लगती हैं रोशनी की सफ़ेद किरचें
    मुझे मेरे मखमली अँधेरों की गोद में डाल दो उठाकर
    चटकती आँखों पे घुप्प अँधेरों के फाए रख दो
    यह रोशनी का उबलता लावा न अन्धा कर दे ।
  • कोई अटका हुआ है पल शायद
    वक़्त में पड़ गया है बल शायद
  • आ रही है जो चाप क़दमों की
    खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद

gulzar shayari romantic, gulzar best shayari, best of gulzar shayari

  • खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
    एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।
    डाक से आया है तो कुछ कहा होगा
    “कोई वादा नहीं… लेकिन
    देखें कल वक्त क्या तहरीर करता है!”
    या कहा हो कि… “खाली हो चुकी हूँ मैं
    अब तुम्हें देने को बचा क्या है?”
    सामने रख के देखते हो जब
    सर पे लहराता शाख का साया
    हाथ हिलाता है जाने क्यों?
    कह रहा हो शायद वो…
    “धूप से उठके दूर छाँव में बैठो!”
    सामने रौशनी के रख के देखो तो
    सूखे पानी की कुछ लकीरें बहती हैं
    “इक ज़मीं दोज़ दरया, याद हो शायद
    शहरे मोहनजोदरो से गुज़रता था!”
    उसने भी वक्त के हवाले से
    उसमें कोई इशारा रखा हो… या
    उसने शायद तुम्हारा खत पाकर
    सिर्फ इतना कहा कि, लाजवाब हूँ मैं!
  • बस एक चुप सी लगी है, नहीं उदास नहीं!
    कहीं पे सांस रुकी है!
    नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
    कोई अनोखी नहीं, ऐसी ज़िन्दगी लेकिन!
    खूब न हो, मिली जो खूब मिली है!
    नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
    सहर भी ये रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन!
    हमीने शाम चुनी, हमीने शाम चुनी है!
    नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
    वो दासतां जो, हमने कही भी, हमने लिखी!
    आज वो खुद से सुनी है!
    नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
  • कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
    जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की
  • कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
    उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

gulzar shayari quotes hindi, hindi shayari gulzar, gulzar shayari in hindi on life

  • Kuch aur bhi ho gaya numaya Main apna likha mita raha tha
    Hawaon ka rukh dikha raha tha Woh khat ke purze uda raha tha
  • Woh khat ke purze uda raha tha Hawaon ka rukh dikha raha tha
    Woh khat ke purze uda raha tha

Ussi ka imaan badal gaya hai Kabhi jo mera khuda raha tha

Hawaon ka rukh dikha raha tha Woh khat ke purze uda raha tha
Woh ek din ek ajnabi ko Meri kahani suna raha tha
Hawaon ka rukh dikha raha tha Woh khat ke purze uda raha tha

Woh umar kam kar raha tha meri Main saal apne badha raha tha
Hawaon ka rukh dikha raha tha

Woh khat ke purze uda raha tha Hawaon ka rukh dikha raha tha.

  • देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा
    देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
    ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
    काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
    ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
    जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
  • रात चुपचाप दबे पाँव चली जाती है
    रात ख़ामोश है रोती नहीं हँसती भी नहीं
    कांच का नीला सा गुम्बद है, उड़ा जाता है
    ख़ाली-ख़ाली कोई बजरा सा बहा जाता है
    चाँद की किरणों में वो रोज़ सा रेशम भी नहीं
    चाँद की चिकनी डली है कि घुली जाती है
    और सन्नाटों की इक धूल सी उड़ी जाती है
    काश इक बार कभी नींद से उठकर तुम भी
    हिज्र की रातों में ये देखो तो क्या होता है
  • ḳhushbū jaise log mile afsāne meñ

    ek purānā ḳhat kholā anjāne meñ

  • सहर न आई कई बार नींद से जागे
    थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले

gulzar shayari in english, shayari by gulzar in hindi font, motivational shayari by gulzar

  • aap ke ba.ad har ghaḌī ham ne

    aap ke saath guzārī hai

  • चौदहवीं रात के इस चाँद तले
    सुरमई रात में साहिल के क़रीब
    दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
    ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
    बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से
    तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी
    दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
    चौदहवीं रात के इस चाँद तले !
  • क सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद..
    दूसरा सपना देखने के हौसले को ‘ज़िंदगी‘ कहते हैं..
  • kitnī lambī ḳhāmoshī se guzrā huuñ

    un se kitnā kuchh kahne koshish

  • apne saa.e se chauñk jaate haiñ

    umr guzrī hai is qadar tanhā

  • ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
    ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
  • मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू ,
    सुना है आबशारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|खुदारा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को ,
    चरागों से मज़ारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है ,
    क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी ,
    मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है|