Shikayat Shayari Hindi With Images. वो कुछ रातों से मेरे नींदों में दबे पाँव चलके आती हैं…
और फिर सुबह को शिकायत करती हैं कि उसे नींद ठीक से आई नहीं…
शिकायत करने से खामोश
रहना बेहतर है
क्यूंकि जब किसी को फर्क नहीं पड़ता
तो शिकायत कैसी
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दूर करने की कोशिश करते.
वो हमारे माँ-बाप है,
जो हमारी झोली खुशियों से भरते.
शिकायत करने वाले शिकायत करते गए
और हम रिश्ता बनाने के लिए
शिकायतों को बस सहते गए
Shayari On Shikayat
- शिकवा तो एक छेड़ है लेकिन हकीकतनतेरा सितम भी तेरी इनायत से कम नहीं।
- Shayad Tera Najaria Mere Najariye Se Alag Tha,
Tujhe Waqt Gujarna Tha Au Mujhe Zindgi.
शायद तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
तुझे वक्त गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी।
- क्यूँ शिकायत हो खताओं की कभी ऐ दोस्त,
ज़िंदगी यूँ भी खताओं के सिवा कुछ भी नहीं।।। - शिक़वा वो भी करते हैं शिकायत हम भी करते हैं,मुहोब्बत वो भी करते हैं मुहोब्बत हम भी करते हैं।
- Meri Khamoshi Se Use Koyi Farq Nahi Padta,
Shikayat Mein Do Lafz Keh Dun Toh Chubh Jate Hain.
मेरी खामोशी से उसे कभी कोई फर्क नहीं पड़ता,
शिकायत में दो लफ़्ज कह दूं तो चुभ जाते हैं।
- Dil Tutne Par Bhi Jo Shakhs Shikayat Tak Na Kare,
Uss Shakhs Ki Mohabbat Mein Kamiyan Na Nikala Kar.
दिल टूटने पर भी जो शख्स शिकायत तक न करे,
उस शख्स की मोहब्बत में कमियां न निकाला कर।
- ओरो के लिए जीते थे किसी को कोई शिकायत न थी।
अपने लिए जीने का क्या सोचा सारा जमाना दुश्मन हो गया. - आप नाराज़ हों, रूठे, के ख़फ़ा हो जाएँ,बात इतनी भी ना बिगड़े कि जुदा हो जाएँ !!
- तुम सामने आये तो, अजब तमाशा हुआ..हर शिकायत ने जैसे, खुदकुशी कर ली..!!
- हो जाते हो बरहम भी बन जाते हो हमदम भीऐ साकी-ए-मयखाना शोला भी हो,शबनम भीखाली मेरा पैमाना बस इतनी शिकायत है -हसरत जयपुरी
- Rone Se Sanwar Jaate Agar Haalat Kisi Ke,
Toh Mujhse Jyada KhushNasib Koi Aur Nahi Hota.
रोने से संवर जाते अगर हालात किसी के.
तो मुझसे ज्यादा खुशनसीब कोई और नहीं होता।
Shikayat Shayari in Hindi
- मैं शिकायत क्यों करू, ये तो किस्मत की बात है,
तेरी सोच में भी नहीं मैं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद है !………. - जिन्दगी से तो खैर शिकवा थामुद्दतों मौत ने भी तरसाया।
- Jise Bhi Dekha Rote Huye Paya Maine,
Mujhe To Ye Mohabbat Kisi Faqir Ki Bad-Dua Lagti Hai.
जिसे भी देखा रोते हुए पाया मैंने,
मुझे तो ये मोहब्बत किसी फ़कीर की बददुया लगती है। - हम क्यूँ,शिकवा करें झूठा,क्या हुआ जो दिल टूटाशीशे का खिलौना था, कुछ ना कुछ तो होना था, . -आनंद बख़्शी
- मैं तो इसलिए चुप हूँ कि तमाशा ना बन जाये..
और तुम ये समझ बैठे कि.. मुझे तुमसे गिला कुछ नहीं..
- Thukraya Humne Bhi Bahuton Ko Teri Khatir,
Tujhse Fasla Bhi Shayad Unki BadDuaon Ka Asar Hai.
ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर,
तुझसे फासला भी शायद उनकी बद्दुआओं का असर है। - अब शिकायतें तुम से नही मुझे खुद से हैं,
माना के सारे झूठ तेरे थें,
लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था!!Ab Shikayatein Tum Se Nahi
Mujhe Khud Se Hain,
Mana Ke Sare Jhooth Tere They
Lekin Un Par Yakin To Mera Tha…
- मुझे बस इतनी-सी शिकायत है,
कि मुझे तुम क्यू छोड़ गयी ?
जिस दिल में इतना प्यार भरा था,
उसे क्यू बेवजह तोड़ गयी ? -
अर्ज़ किया है-शिकायत तुमसे नहीं ,
जिंदगी से है
वो अलग बात है कि
तुम ही ज़िन्दगी हो .
- उसे ये शिकवा के मैं उसे समझ न सका..
और मुझे ये नाज़ के मैं जानता बस उसको था..!! - दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुमथोड़ी बहुत तो ज़हन मे नाराज़गी रहे !! -निदा फ़ाजली
- सैकड़ों शिकायतें रट रखी थी… उन्हें सुनाने को किताबों की तरह…
वो मुस्कुरा के ऐसे मिले… कि एक भी याद नहीं आई…
Shikayat Shayari image
- शिकायत तुम्हे वक्त से नहीं खुद से होगी,
कि मुहब्बत सामने थी, और तुम दुनिया में उलझी रही. - तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी हैरान हु में….!-तेरे मासूम सवालों से परेशां हूँ में ..~गुलज़ार
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लोगों की बातो का बुरा मत मानना
क्यूंकि आज इनकी बाते ही हमे
तरक्की की तरफ आगे बढ़ाएगी
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कभी अपने माँ-बाप को,शिकायत का मौका मत देना।
चाहे कितना भी हो मन खराब ,
उनसे कभी बुरा मत कहना।
- ◆बात अब आई समझ में…कि हक़ीक़त क्या थी एक जज़्बात की शिद्दत थी…मोहब्बत क्या थी अब ये जाना कि वो दिन-रात के शिकवे क्या थे अब ये मालूम हुआ वज्ह-ए-शिकायत क्या थी ~एहसास दरबांगवी
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कहने देती नहीं कुछ मुँह से मुहब्बत मेरी लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी~दाग देहलवी
- शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है,रिश्ता ही मेरी प्यास का पानी से नहीं है !!
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जब आपकी शिकायतों को कोई
गंभीर ना ले
तो बस आप भी गंभीर
होना छोड़ दीजिए
- अब्र-ए-आवारा से मुझको है वफ़ा की उम्मीदबर्क-ए-बेताब से शिकवा है के पाइंदा नहीं
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कोई शिकवा नहीं है,उनसे हमें,उन्हें हमसे ,बस यही शिकवा है !
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हम से ‘आबिद’ अपने रहबर को शिकायत ये रहीआँख मूँदे उन के पीछे चलने वाले हम नहीं~आबिद अदीब
- किसी को भी कभी तुमसे शिकायत हो नही सकतीअगर जो ग़ौर से खुद का,कभी किरदार पढ़ लोगे
- उसे ज़िद कि ‘वामिक़’-ए-शिकवा-गर किसी राज़ से नहो बा-ख़बरमुझे नाज़ है कि ये दीदा-वार मिरी उम्र भर की तलाश है
- तो किसी को मरण से शिकायत है.
इन्सान की फितरत ही है कुछ ऐसी,
इसे तो जन-जन से शिकायत है .
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ज़िन्दगी से अगर
शिकायत करते रहोगे
तो खुद को दिन-ब-दिन
कमज़ोर करते रहोगे
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हमे शौक नहीं शिकायत करने का
बस जो बात दिल पे लगती है बोल देते है
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मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत हैकि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते~वसीम बरेलवी [मुसलसल-निरन्तर]
Nice Lines for all articles.
क्या मस्त शायरी है भाई दिल ही जीत लिया आपने very very nice shayaries bro.