maharana Pratap photo. “जो सुख मे अतिप्रसन्न और वि
जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी। फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥
समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रस्ते पर अडिग रहो।
अपनी कीमती जीवन को सुख और आराम कि जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढिया है कि अपने राष्ट्र कि सेवा करो।
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“हल्दीघाटी के युध्द ने मेरा
“शत्रु सफल और शौर्यवान व्
.”एक शासक का पहला कर्त्यव अप
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अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगाँ ही।
अपने अच्छे समय मे अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे।
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नित्य, अपने लक्ष्य,परिश्रम,और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है।
मनुष्य अपने कठीन परिश्रम और कष्टो से ही अपने नाम को अमर कर सकता है।
करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है। तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥
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अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य कि पराजय नही विजय होती है।
“अपनी कीमती जीवन को सुख और
हल्दीघाटी के युध्द ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो। पर मेरी गौरव और शान और बढा दिया।
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अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है।
ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
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“अपने अच्छे समय मे अपने कर्म
समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है।
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अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है।
कष्ट,विपत्ती और संकट ये जीवन को मजबूत और अनुभवी बनाते है। इनसे डरना नही बल्कि प्रसन्नता पूर्वक इनसे जुझना चाहिए।
समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रस्ते पर अडिग रहो।
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“जो अत्यंत विकट परिस्तिथत म
अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य कि पराजय नही विजय होती है।
“मनुष्य अपने कठीन परिश्रम औ
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सत्य,परिश्रम,और संतोष सुखमय जीवन के साधन है। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी आवश्यक है।
“अपने और अपने परिवार के अल
“अगर इरादा नेक और मजबूत है
अपनी कीमती जीवन को सुख और आराम कि जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढिया है कि अपने राष्ट्र कि सेवा करो।
ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है।
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