पढ़ें गलवान में भारतीय वीरों के शौर्य की हैरतअंगेज कहानी. गलवान में 15 जून की रात की कहानी, Story of fight between India china soldiers at Galwan valley on 15th June.
- गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीन की बर्बरता का बदला लिया. भारतीय जवानों ने चीन के सैनिकों की गर्दन तोड़ दी. सूत्रों के मुताबिक, भारत-चीन के सैनिकों के बीच करीब 4 घंटे तक झड़प चली.
- जब भारतीय कर्नल को चीन के जवान ने मारा तो 16 बिहार रेजिमेंट के 40 जवान उस पर टूट पड़े थे
- गलवान घाटी में 15 जून की रात जो कुछ हुआ, उसकी पूरी रिपोर्ट सेना ने सरकार को सौंपी, कई जानकारियां सामने आई हैं
- संतोष बाबू के शहीद होने के बाद भारतीय जवानों ने चीनी सेना पर कहर बरपा दिया था. गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीन की बर्बरता का बदला लिया.
- गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों में झड़प की वजह पड़ोसी देश की एक ऑब्जर्वेशनल पोस्ट थी। चीन ने ठीक एलएसी पर एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट बना ली थी। भारतीय सेना को इस स्ट्रक्चर पर आपत्ति थी। 16 बिहार इंफैन्ट्री रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू इसे लेकर कई बार चीनी कमांडर को आपत्ति दर्ज करवा चुके थे।
- चीन की सेना ने 14 जून को एलएसी पर दोबारा कैम्प बनाया था, इस पर आपत्ति जताने के लिए कर्नल संतोष बाबू 40 जवानों के साथ दुश्मन सेना के कैम्प में गए थे
- उन्होंने खुद कैम्प तक जाकर चीन के सैनिकों से बात करने का फैसला किया। शाम 4 बजे के आसपास वो अपने 40 जवानों को लेकर पैदल उस कैम्प तक चले गए।
- इसमें दो मेजर भी शामिल थे. टीम का माहौल तनाव जैसा नहीं था, बल्कि ऐसा था कि जैसे वे कुछ पूछताछ करने जा रहे हों.
- चीनी सेना ने झगड़े के लिए पहले से ही कंटीले तार बंधे डंडे, लोहे की रॉड और बड़े बोल्डर पत्थर जमाकर रखे थे
- इससे पहले तक वहां तैनात चीन और भारतीय सैनिकों की आपस में पहचान थी। लेकिन जब कर्नल संतोष वहां पहुंचे तो उन्हें नए चेहरे नजर आए। यहां मौजूद चीनी सैनिकों के नए चेहरे भारतीय सैनिकों के लिए पहली हैरानी की बात थी.
- इंटेलिजेंस ने उन्हें इसकी रिपोर्ट पहले ही दी थी कि तिब्बत में चल रही किसी एक्सरसाइज से सैनिकों को लाकर गलवान में डिप्लॉय किया गया है। जैसे ही कर्नल संतोष ने सवाल किया एक चीनी सैनिक ने आकर उन्हें धक्का दिया और गालियां देने लगा।
- ऐसा देखते ही 16 बिहार इंफैन्ट्री रेजिमेंट के सैनिकों को गुस्सा आ गया और उन्होंने चीन के सैनिकों को पीटना शुरू कर दिया। मुक्केबाजी में दोनों ओर के सैनिक घायल हो गए। गुस्साए भारतीय सैनिकों चीन के ऑब्जर्वेशन पोस्ट को तहस-नहस कर दिया।
- इसी बीच कर्नल संतोष ने घायल सैनिकों को वापस पोस्ट पर भेज दिया और वहां से और सैनिकों को बुलवाया।
- इस घटना के तुरंत बाद कर्नल बाबू ये भांप गए कि चीनियों का मिजाज दूसरा है. यहां पर चीन के नए सैनिकों की मौजूदगी और एक शख्स की ओर से की गई गुस्ताखी से वे समझ गए कि कुछ बड़ा होने वाला है.
- इस दौरान किसी किस्म के हथियार का इस्तेमाल नहीं हुआ. 30 मिनट तक चली इस लड़ाई में दोनों ओर से लोग चोटिल हुए, लेकिन भारतीय टीम इस दौरान बीस साबित हुई.
- चीन के लगभग 300 सैनिक थे और इनका सामना करने के लिए भारतीय जवानों की संख्या 45 से 50 थी। भारतीय सैनिकों के पास हथियार तो थे, लेकिन वो उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। वहीं चीन के सैनिकों ने इस झगड़े की प्री-प्लानिंग के लिए कंटीले तार बंधे डंडे, लोहे की रॉड और बड़े बोल्डर पत्थर जमाकर रखे थे। मानों वो भारतीय सैनिकों के इंताजर में बैठे हों।
- कर्नल बाबू और उनकी टीम ने जिन नए चीनी जवानों को हाथापाई में पकड़ा था, उन्हें पकड़ कर वे एलएसी के पार चीनी सीमा की ओर निकल गए. भारत की टीम इन चीनी जवानों को न सिर्फ उनके सीनियर अफसरों को सौंपना चाहती थी, बल्कि ये जानना चाहती थी कि क्या और भी चीनी सैनिक तो नहीं आ रहे हैं.
- भारतीय और चीन के सैनिकों की ये भिड़ंत झलकी मात्र ही थी. एक घंटे बाद असली लड़ाई होनी थी. इस दूसरी लड़ाई में ही सैनिकों को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ी.
- इंडिया टुडे से बात करते हुए घटनास्थल से कुछ दूर शायोक-गलवान नदी के मिलनबिंदू पर तैनात एक ऑर्मी ऑफिसर ने कहा, “हमारे जवान गुस्से में और आक्रामक थे. आप सोच सकते हैं कि वे चीनियों को किस कदर सबक सिखाना चाहते थे.”
- अबतक गलवान घाटी अंधेरे में डूब चुकी थी. विजिविलिटी कम हो गई थी. कर्नल बाबू को जो अंदेशा था वो सच साबित हुआ. चीन के नए सैनिक नदी के दोनों किनारों पर पोजिशन लेकर इंतजार कर रहे थे. इसके अलावा दाहिनी ओर भी एक रिज पर पोजिशन लेकर वे तैयार थे. जैसे ही भारतीय सैनिक वहां पहुंचे उनपर बड़े-बड़े पत्थर बरसने लगे.
- रात को 9 बजे के करीब कर्नल बाबू के सिर से एक बड़ा पत्थर टकराया और वे गलवान नदी में गिर गए. आकलन ये है कि हो सकता है कि उन्हें जानबूझकर निशाना नहीं बनाया गया हो, लेकिन टकराव के आलम में पत्थर उन्हें भी लग गया.
- आमने-सामने इस की लड़ाई में चीनियों ने कील लगे रॉड और डंडों का इस्तेमाल किया. तब तक हर इंफैंट्री बटालियन में तैनात भारतीय सेना की घातक प्लाटून वहां पहुंच गई। इसमें 16 बिहार रेजिमेंट और 3 पंजाब रेजिमेंट के घातक प्लाटून भी शामिल थी. उन सैनिकों ने चीन के सोल्जर्स पर जमकर हमला किया, जिसमें चीन के सैनिकों की गर्दन और रीढ़ की हड्डी तक टूट गई।
- झगड़ा गलवान घाटी के किनारे खड़ी खाई के ठीक पास चल रहा था। यही वजह थी कि जब चीन और भारतीय सैनिक के बीच खूनखराबा हुआ तो कुछ सैनिक जाकर नीचे गलवान नाले में गिर गए। इनमें भारतीय भी थे और चीन के सैनिक भी। गलवान नाले में बर्फीला पानी था और खड़े नुकीले पत्थर भी।
- घटना की जगह मौजूद सैनिकों और इलाके के कमांडर ने जो रिपोर्ट सेना मुख्यालय और सरकार को सौंपी है, उसके मुताबिक आधी रात तक ये झगड़ा जारी था, जब हालात कुछ नियंत्रण में आए तो दोनों ओर के सैनिक अपनों के शव अपनी-अपनी पोस्ट पर ले जाने लगे। इसी बीच कुछ गंभीर रूप से जख्मी सैनिकों को भी उस इलाके से पोस्ट तक लाया जाने लगा। ये दोनों ओर चल रहा था।
- जब भारतीय जवान अपने घायल सैनिकों को नदी और अन्य स्थान से निकाल रहे थे, तभी रात के अंधेरे में उन्हें एक ड्रोन के आने की आहट सुनाई. यह एक नए खतरे का संकेत था. यह संकेत था गलवान घाटी में आधी रात को भारत और चीनी सैनिकों के बीच होने वाले तीसरी झड़प का. ड्रोन धीरे-धीरे घाटी की ओर आ रहा था. संभवत: वह इन्फ्रारेड कैमरा और नाइट विजन का इस्तेमाल कर रहा था, ताकि चीन अपने नुकसान का आकलन कर सके और फिर से हमला कर सके.
- चीन की सेना ने भारतीय सेना के 10 अफसर और जवानों को बंधक बना लिया था। दो दिन बाद मेजर जनरल स्तर की बैठक में हुई बातचीत के बाद इन्हें छोड़ा गया। सूत्र बताते हैं कि चीन सेना के एक कर्नल और कुछ सैनिक भारतीय सेना की गिरफ्त में भी थे। ये सभी सैनिक युद्धबंदी नहीं थे, क्योंकि दोनों ओर के सैनिक उस रात घायल हुए और एक दूसरे की सीमा में गलवान नाले के आसपास बहकर आ गए थे।
- उस रात भारतीय सेना ने कर्नल संतोष समेत 20 जवानों को खोया है। जबकि चीन के 16-20 सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 17 गंभीर घायल जवानों ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
- एक दिन पहले दिए बयान के मुताबिक केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने माना है कि इस लड़ाई में भारत ने चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया है। उन्होंने ये भी कहा है कि भारतीय सेना ने 16 चीनी सैनिकों के शव उन्हें सौंपे हैं। इसमें चीन के 5 ऑफिसर भी शामिल थे. वहीं मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद जो 10 भारतीय सैनिक चीन के इलाके से लौटे हैं उनमें 2 मेजर भी शामिल हैं।