Politics Heats Up In Nepal Over Chinese Occupation Of Nepali Land, Nepali Congress Seeks Response From Government. नेपाली जमीन पर चीनी कब्जे को लेकर नेपाल में सियासत गरमाई.
- नेपाल के तीन सांसदों की मांग- चीन ने हमारे 4 जिलों की 158 एकड़ जमीन पर कब्जा किया, प्रधानमंत्री इसे वापस दिलाएं
- सरकार मूल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भारत से सीमा विवाद और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों को हवा दे रही है
- चीन ने आखिर कैसे नेपाल के हिमालयी इलाकों पर किया कब्जा, नेपाली स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई क्यों
- चीन ने नेपाल के हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा जिलों की कई हेक्टेयर जमीन पर कब्जा किया है
- चीन ने गोरखा जिले में सीमा पर पिलर नंबर 35 शिफ्ट कर दिया, इससे रुई गुवान गांव उनके कब्जे में चला गया
- अब इस गांव के 72 परिवार चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के नागरिक बताए जा रहे हैं। धारचूला जिले के 18 घरों पर भी चीन दावा कर रहा है।
- 1962 से पहले तक रुई गांव गोरखाओं का गांव होता था, लेकिन धीरे धीरे उसपर चीन ने कब्जा जमा लिया और अब वह उसका हिस्सा हो गया।
- नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा बुधवार को लोकल अखबार ‘अन्नपूर्णा पोस्ट’ ने किया था। अखबार के मुताबिक, रुई गुवान गांव में 60 साल से चीन का राज चल रहा है। नेपाल की सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया। नेपाल सरकार के आधिकारिक नक्शे में भी यह गांव नेपाल की सीमा के भीतर ही दिखाया गया है। गोरखा जिले के रेवेन्यू दफ्तर में भी रुई गुवान गांव के लोगों से टैक्स वसूली के दस्तावेज हैं। हालांकि, यहां नेपाल सरकार ज्यादा एक्टिव नहीं है। शायद यही वजह है कि इस इलाके पर चीन ने कब्जा कर लिया है।
- नेपाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष बिमलेन्द्र निधि ने ये मुद्दा प्रमुखता से उठाया है और सोशल मीडिया पर इस बारे में सरकार से जवाब मांगा है। उनका कहना है कि सरकार ने इस बारे में आखिर चुप्पी क्यों साध रखी है।
- निधि ने कहा कि पिछले साल नेपाली सरकार ने चीन से एक समझौता किया था, जिसके तहत चीन के कुछ हजार टीचर नेपाली स्कूलों में बच्चों को चीनी भाषा पढ़ाने आने वाले हैं। ये सीधे तौर पर नेपाली स्कूलों के तय पाठ्यक्रमों में छेड़छाड़ है जो कतई सही नहीं ठहराया जा सकता। निधि ने सरकार से इस मामले पर भी जवाब मांगा है।
- चीन ने जिन इलाकों पर कब्जा किया है उनको लेकर उसका कभी नेपाल से समझौता भी नहीं हुआ। यह सिर्फ सरकारी लापरवाही का नतीजा है। दोनों देशों ने सीमाएं तय करने और पिलर लगाने के लिए 1960 में काम शुरू किया था। लेकिन, जानबूझकर पिलर नंबर 35 को ऐसी जगह लगाया गया, जिससे नेपाल का इलाका चीन में चला गया। इसके अलावा वह अब चेकम्पार सीमा के कई इलाकों पर भी पिलर लगाकर मार्किंग शुरू कर रहा है।