Holi poems in Hindi, होली पर कविता – Holi Poems in Hindi
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- रस रंग भरे मन में होली ,
जीवन में प्रेम भरे होली ।
मुस्कान रचे सब अधरन पर,
मिल जुल कर सब खेलें होली ।
गले लगें सब मन मीत बने ,
रंगों से मन का गीत लिखें ।
जीवन में मधु संगीत भरें ,
भूले बिसरों को याद करें ।
जो संग में थे पिछली होली ,
रस रंग भरे मन में होली ।। - तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
~हरिवंशराय बच्चन -
होली है भई होली है,
बुरा न मानो होली है!
आऒ मिल के खुशियाँ मनाएं,
अपनों को हम रंग लगाएँ!
फूलों से हम खेलें होली,
बचत करें हम पानी की!
सब मिल कर जोर से गाएं,
बुरा न मानो होली है!
किसी को ना ठेस पहुचाएं,
नए नए पकवान खाएं और खिलाएं!
खुद भी रंग लगाएं
और दूसरों पर भी अबीर लगायें
टोली बना कर गाएं हम सब
बुरा न मानो होली है! - तुमको रंग लगाना है
होली आज मनाना है।
प्रतिकार करो इनकार करो
पर रगों को स्वीकार करो
रगों से तुम्हें नहलाना है
होली आज मनाना है।
भर पिचकारी बौछार जो मारी
भीगी चुनरी भीगी साड़ी
अपने ही रंग में रंगवाना है
होली आज मनाना है।
अबीर गुलाल तो बहाना है
दूरियाँ दिलों की मिटाना है
तो कैसा ये शरमाना है
होली आज मनाना है।
~अंशुमन शुक्ल - होली आई , खुशियाँ लाई
खेले राधा सँग कन्हाई
फैन्के इक दूजे पे गुलाल
हरे , गुलाबी ,पीले गाल
प्यार का यह त्योहार निराला
खुश है कान्हा सँग ब्रजबाला
चढा प्रेम का ऐसा रँग
मस्ती मे झूम अन्ग-अन्ग
आओ हम भी खेले होली
नही देन्गे कोई मीठी गोली
हम खेले शब्दो के सँग
भावो के फैन्केगे रन्ग
रन्ग-बिरन्गे भाव दिखेन्गे
आज हम होली पे लिखेन्गे
चलो होलिका सब मिल के जलाएँ
एक नया इतिहास बनाएँ
जलाएँ उसमे बुरे विचार
कटु-भावो का करे तिरस्कार
नफरत की दे दे आहुति
आज लगाएँ प्रेम भभूति
प्रेम के रन्ग मे सब रन्ग डाले
नफरत नही कोई मन मे पाले
सब इक दूजे के हो जाएँ
आओ हम सब होली मनाएँ.Holi poems
Holi Poems in Hindi – छोटे बच्चो के लिए होली पर कविता
- आई होली आई होली,
आई होली रे…
रंग लगाओ ख़ुशी मनाओ,
आई होली रे..खूब मिठाई और पिचकारी,
आई होली रे…
सबको बाटो खुशियाँ ही खुशियाँ,
आई होली रे..आई होली आई होली,
आई होली रे…
रंग लगाओ ख़ुशी मनाओ,
आई होली रे…आई होली रे, आई होली रे…… - भालू ने हाथी दादा के,
मुहँ पर मल दी रोली|भालू ने हाथी दादा के,
मुहँ पर मल दी रोली….
ठुमक-ठुमक कर लगे नाचने-
बोले – “आई होली”||ठुमक-ठुमक कर लगे नाचने-
बोले – “आई होली”||हाथी दादा ने भालू को,
अपने गले लगाया|हाथी दादा ने भालू को,
अपने गले लगाया….
घर ले जाकर गन्ने का रस-
दो पीपे पिलवाया||घर ले जाकर गन्ने का रस-
दो पीपे पिलवाया||आई होली, आई होली, आई होली,आई होली…!
Happy Holi Poems
- रंग – बिरंगे रंगों से
सज गयी दुकाने है
मौसम भी हो गया गुलाबी है
फागुन आया – फागुन आया
होली का त्यौहार
साथ में लायाभर – भर पिचकारी
रंग डाले बच्चे
खेले देवर भाभी संग
जीजा खेले साली संग
सजनी खेले साजन संग
हुड़दगो की टोली देखो
ढोल बजाके खेले होलीसब अपनी – अपनी मस्ती
में खेले होली
महुआ ,भांग, गुजिया और
जलेबी की खुशबू
फैल गयी हवाओं मेंनीले ,पीले ,हरे ,गुलाबी
लाल , बैंगनी रंगों से
हो गया आसमान भी
सतरंगी हैसबने मिलकर एक दूसरे को
गले लगाया है
मिटाई दिल से हर बुराई है
रूठो को फिर से बनाया हैप्रेम रंग में सबको रंग दो तुम
कोई न बच के जाने पाये
जाति और मजहब की
दीवार न आड़े आने पाये
फागुन आया ,फागुन आया
साथ में होली का
त्यौहार लायाज्योति